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शोषित समाज के लोगों को अपनी कमजोरी दूर कर ताकतवर बनना पड़ेगा


 

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100 बात की एक बात है कि शोषित समाज के लोगों को अपनी कमजोरी दूर कर ताकतवर बनना पड़ेगा

चूहे को बिल्ली अपना शिकार बनाती है,

 बिल्ली को कुत्ता

 और कुते को तेंदुआ

छोटी मछलियों को  बड़ी मछली और बड़ी मछली को मगरमच्छ  निगल लेता है[

तो वहीं चिड़िया को बाज दबोच लेता है1

इसी प्रकार आदमी के भेष में छुपे हुए भेड़िये भी सदियों से  कमजोर लोगों को अपना शिकार बनाते रहे हैं, उनसे बचने की जरूरत है,लेकिन बचें कैसे ?

उपरोक्त उदाहरणों से यह तो तय है कि शिकार कोई भी करे वह सदैव अपने से कमजोर को ही अपना शिकार बनाता हैउपरोक्त सभी बातें पशु पक्षियों जंगली जानवरों एवं समुद्री जीवों तक तो ठीक हैं क्योंकि इसमें उनका कोई दोष नहीं है क्योंकि प्रकृति ने ही उनका ऐसा स्वभाव बनाया है, यदि ऐसा स्वभाव प्रकृति नहीं बनाती तो हाथी भी तो शक्तिशाली जानवर है लेकिन वह तो कभी किसी को मारकर नहीं खाता है

प्रकृति ने मानव को सर्वश्रेष्ठ प्राणी बनाकर भेजा है इसलिए अन्य प्राणियों एवं मानव के बीच दो बड़े अंतर पाये जाते हैं  जिसमें पहला यह है कि अन्य सभी प्राणी पैदा होते हैं, खाते हैं पीते हैं और बच्चा पैदा करते हैं और फिर मर जाते हैं लेकिन वे अपने जीवन में किसी भी प्रकार का विकास नहीं करते हैं परन्तु मानव (आदमी/औरत ) खाना पीना, सोना, बच्चा पैदा करना ये सब तो करते ही हैं इनके अलावा मरने से पहले बहुत कुछ विकास करके दिखाते हैं

दूसरा सबसे बड़ा अंतर यह होता है कि मानव अपने स्वभाव में परिवर्तन ला सकता है जबकि अन्य प्राणि आजीवन एक ही स्वभाव में जीवन यापन करते हैंअब सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सदियों से शोषित समाज के लोग विकास नहीं कर पा रहे थे लेकिन बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान की बदौलत जब उन्हें मौका मिला तो उन्होंने भी विकास करना शुरू कर दिया हैजो लोग मानव के भेष में भेड़िये बने हुए हैं वे बिल्कुल भी नहीं चाहते हैं कि शोषित समाज के लोग विकास करेंअब सोचने वाली बात यह है कि वे मूलनिवासियों का विकास रोककर उन्हें कमजोर क्यों बनाये रखनाचाहते हैं इसका सीधा सा जवाब है कि वे कमाकर नहीं खाना चाहते हैं बल्कि इन्हीं कमजोर लोगों को अपना शिकार बनाकर उनकी मेहनत से अपना जीवन चलाना चाहते हैं इसलिए उनकी हर वक्त यही मंशा बनी रहती है कि ये लोग कमजोर ही बने रहें क्योंकि शोषण सदैव कमजोर का ही किया जा सकता है ताकतवर का कभी भी नहीं

अब यह जानना भी जरूरी है कि शोषित समाज सदा से ही कमजोर नहीं था लेकिन विदेशी आर्यों ने भारत में घुसपैठ कर साम दाम दण्ड भेद नीति से मूलनिवासियों को गुलाम बनाकर 7 प्रकार की शक्तियों से विहीन कर कमजोर बनाया गया था

पहला :- बाहुबल से कमजोर बना देना

दूसरा:- अश्त्र बल से विहीन कर देना

तीसरा:- शस्त्र बल से विहीन कर देना

चौथा:-धनबल से वंचित कर देना

 पाँचवा::-जनबल से दूर कर देना

छठा:- बुद्धिबल से विमुख कर देना

सातवाँ :- मनोबल को गिरा देना

इन सात बलों का तात्पर्य यह है कि सबसे पहले व्यक्ति हष्ट पुष्ट एवं स्वस्थ शारीरिक रूप से मजबूत होगा तो वह अपना बचाव कर सकता है। दूसरा यह है कि यदि शारिरिक रूप से थोड़ा कमजोर भी है लेकिन उसके हाथ में लाठी, बरछी तलवार अथवा अन्य कोई अस्त्र है तो अपना बचाव कर सकता है। तीसरा यह है कि बेशक शरीर से कुछ कमजोर भी हो तलवार वगैरह भी साथ में नहीं हो लेकिन शस्त्र हो तो दूर से फेककर भी कमजोर व्यक्ति अपना बचाव कर सकता है। चौथा यह है कि इन तीनों में से कुछ भी नहीं हो लेकिन धन हो तो उसके बल पर शस्त्रधारी लोग अपनी सुरक्षा में रख सकता है। पांचवा यह है कि उपरोक्त चारों ही बल नहीं हैं लेकिन बहुत सारा जनबल साथ में हो तब भी लड़ाई को जीता जा सकता है। छठा यह है कि उपरोक्त पांचों ही बल नहीं हो लेकिन व्यक्ति अच्छा पढ़ा लिखा बुद्धिमान हो तब भी अपनी बुद्धिबल उपाय खोजकर अपना बचाव कर सकता है। सातवाँ यह है कि उपरोक्त सभी बल छीन जाने के बाद भी किसी का मनोबल नहीं टूटा हो तो वह अपने मनोबल के आधार पर कभी कभी पासा पलट सकता है इसलिए इन भेड़ियों ने मनोबल को मिटाने के लिए कहा कि आप लोग नीची जाति में इसलिए पैदा हुए हो कि पिछले जन्म में आपने बुरे कर्म किये थे इसलिए ईश्वर ने आपको पिछले जन्मों की सजा भुगतने के लिए नीची जाति में पैदा किया है अतः राजा का कर्तव्य बनता है कि नीची जाति में पैदा होने वाले लोगों को ज्यादा से ज्यादा परेशान करे, मारे पीटे, भूखा रखे या कुछ भी जुल्म ढाये उन्हें ईश्वर का आदेश मानकर चुपचाप बर्दाश्त करना जरूरी है

अब 100 बात की एक बात है कि शोषित समाज के लोगों को अपनी कमजोरी दूर कर ताकतवर बनना पड़ेगा1



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